बिहार में आंगनबाड़ी सेविका समाज के विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। आंगनबाड़ी सेविका समाज के हर एक क्षेत्र में कार्यरत है जैसे की गांव में आवश्यक बैठक करना, गांव के लोगों को साफ-सफाई के बारे में बताना, गांव के बच्चे के स्वास्थ्य के बारे में रिकॉर्ड रखना है और छोटे बच्चों को शुरुआती स्कूली शिक्षा देना जैसे कार्य आंगनबाड़ी सेविका अपनी जिम्मेदारी से निभाते हैं। आंगनबाड़ी सेविका बिहार के गांव के विकास में आंगनबाड़ी सेविका मिल का पत्थर साबित होते हुए दिखाई दे रही है। देखा जाए तो सरकार ने गांव के विकास की जिम्मेदारी आंगनबाड़ी सेविका को ही दे रखी है।
लेकिन इतनी सारी जिम्मेदारी निभाने के बाद भी आंगनबाड़ी सेविकाओं के वेतन के साथ सरकार नाइंसाफी कर रही है। बिहार में आंगनबाड़ी सेविकाओं की वेतन काफी चिंताजनक है।
हाल के कई रिपोर्टों में यह बात सामने आई है कि बिहार की सेविकाओं को एक मजदूर से भी कम वेतन पर काम करना पड़ता है, जो उनकी मेहनत और समर्पण के साथ नाइंसाफी है। अगर बिहार में आंगनबाड़ी सेविकाओं की सैलरी किसी दूसरे वर्ग के कर्मचारी या स्टाफ से की जाए तो आंगनबाड़ी सेविकाओं की सैलरी ना के बराबर है।
साथ ही सरकार द्वारा बिहार में आंगनबाड़ी सेविकाओं को कानूनी न्यूनतम वेतन से भी कम दिया जाता है जो की न्यूनतम वेतन अधिनियम, 1948 (Minimum Wages Act, 1948) का साफ-साफ उल्लंघन है।
बिहार में अलग-अलग कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन
बिहार सरकार द्वारा बिहार में न्यूनतम वेतन अधिनियम, 1948 के तहत विभिन्न प्रकार के कामगारों के लिए न्यूनतम वेतन दरें निर्धारित की जाती हैं। राज्य सरकार समय-समय पर अलग-अलग श्रेणियों के लिए इन दरों को अपडेट करती है ताकि मजदूरों को उनके काम के अनुसार उचित मजदूरी मिल सके।
न्यूनतम वेतन अधिनियम, 1948 (Minimum Wages Act, 1948) एक महत्वपूर्ण कानून है जो श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित करने का कार्य करता है। जिसमें मासिक और दैनिक दरें शामिल हैं। इस अधिनियम के तहत राज्य सरकारें न्यूनतम वेतन की दरें तय करती हैं, और इसका पालन करना राज्य के सभी लोगो को अनिवार्य है।
बिहार सरकार द्वारा हाल ही में बिहार में न्यूनतम वेतन की नई दरे लागू की गई है जिसमें बिहार के अलग-अलग कर्मचारियों को अलग-अलग न्यूनतम वेतन मिलेगी। सरकार ने न्यूनतम वेतन के दरों को पांच अलग-अलग भागों में बनता है। जो की है-
अकुशल मजदूर (Unskilled Workers) | 410 |
अर्धकुशल मजदूर (Semi-skilled Workers) | 426 |
कुशल मजदूर (Skilled Workers) | 519 |
अत्यंत कुशल मजदूर (Highly Skilled Workers) | 634 |
यह सारे दरे बिहार में 1 अक्टूबर में 2024 से लागू हो जाएंगे। लेकिन देखा जाए तो इस स्थिति में, न्यूनतम वेतन अधिनियम का उल्लंघन हो रहा है क्योंकि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को निर्धारित न्यूनतम वेतन से कम भुगतान किया जा रहा है।
आंगनबाड़ी सेविका की मासिक वेतन
बिहार में समाज के विकास और उत्थान में सबसे अहम भूमिका निभाने वाली आंगनबाड़ी सेविका को सबसे कम सैलरी दिया जाता है। बिहार सरकार द्वारा अप्रैल 2024 में वृद्धि के बाद से आंगनबाड़ी सेविका को ₹7000 मासिक वेतन दिया जाता है।
यदि औसत मजदूरी दर देखा जाए तो बिहार में सेविकाओं का वेतन सबसे कम है। उदाहरण के लिए, बिहार में न्यूनतम वेतन की नई दरे लागू होने के बाद एक अकुशल मजदूर (Unskilled Workers) की प्रतिदिन की मजदूरी 410 रुपए दी जाएगी वहीं एक आंगनबाड़ी सेविका की मासिक आय ₹7000 है जो कि प्रतिदिन 233 रुपए के लगभग होती है। जो की बिहार सरकार द्वारा लागू की गई न्यूनतम वेतन की दरें से आधी है।
इससे पहले आंगनबाड़ी सेविका की मासिक आय ₹6000 के लगभग थी जिसे अप्रैल माह में सरकार द्वारा बढ़कर ₹7000 कर दी गई है।
आंगनवाड़ी सेविकाओं की मांगें
पिछले कुछ वर्षों में बिहार की आंगनवाड़ी सेविकाएं अपने वेतन और भत्तों में वृद्धि के लिए प्रदर्शन कर रही हैं। हाल के दिनों में आंगनबाड़ी सेविका ने अपने इस मांग को लेकर कई बार विरोध प्रदर्शन, हड़ताल और सरकार के प्रति अपनी आवाज उठाई है। सेविकाओं का कहना है कि उनकी मेहनत और जिम्मेदारियों को देखते हुए उन्हें उचित वेतन और अन्य सुविधाएं मिलनी चाहिए।
आंगनबाड़ी सेविकाओं का मानना है कि उन्हे न्यूनतम वेतन अधिनियम, 1948 के तहत न्यूनतम वेतन मिलनी चाहिए।
इसके साथ ही सेविकाओं का मानना है कि उन्हें सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।
आगामी बिहार विधानसभा चुनाव का आंगनवाड़ी सेविकाओं की मांगें पर असर
बिहार में वर्ष 2025 में बिहार विधानसभा के चुनाव होने जा रहा है। जिसकी तैयारी राजनीतिक पार्टी द्वारा जोड़ों से चल रही है। अभी बिहार की सत्ता नीतीश कुमार के हाथों में है जो कि जेडीयू पार्टी से आते है। जिसके सामने बिहार की आंगनवाड़ी सेविका है अपनी मांगे कई वर्षों से रख रही है।
देखना होगा कि बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार आगामी विधानसभा चुनाव से पहले सेविकाओं की मांगी पूरी कर पाते हैं या नहीं।
बिहार में अभी आंगनबाड़ी सेविकाओं की संख्या एक लाख 15 हजार नौ, जो कि अपनी मांगे को लेकर आए दिन प्रदर्शन और हड़ताल करती रहती है। इतनी बड़ी संख्या आने वाला चुनाव के लिए काफी अहम है।